रक्त संबंध से बढ़कर है गुरु- शिष्य का संबंध: प्रोफेसर अजहर हाशमी
रतलाम ,13 जनवरी (इ खबर टुडे)। चाणक्य एक नाले को पार करना चाहते थे लेकिन चंद्रगुप्त ने पार करने नहीं दिया बल्कि पहले स्वयं नाले की गहराई नापी फिर चाणक्य ने नाला पार किया। चाणक्य ने चंद्रगुप्त से पूछा ऐसा क्यों किया। चंद्रगुप्त ने कहा कि कहीं आप डूब जाते तो एक हजार चंद्रगुप्त मिलकर भी एक चाणक्य नहीं बना पाते, लेकिन एक चाणक्य हजार चंद्रगुप्त तैयार कर सकता है । रक्त संबंध से बढ़कर गुरु-शिष्य का संबंध होता है।
यह विचार प्रख्यात चिंतक एवं साहित्यकार प्रोफेसर अजहर हाशमी ने अपने 71 वें जन्मदिन पर बुधवार को उनके निवास पर विद्यार्थी परिवार द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि रिश्तो में प्रगाढ़ता होना चाहिए। रिश्तो का महत्व हमें समझना चाहिए।
कार्यक्रम की वर्चुअल अध्यक्षता पूर्व कलेक्टर राजेंद्र शर्मा ने भोपाल से करते हुए कहा कि प्रोफेसर हाशमी संबंधो की प्रगाढ़ता के प्रतीक है ।उनसे एक बार जुड़ने वाला व्यक्ति जीवन पर्यंत उन्हें नहीं भूल सकता। उन्होंने प्रोफेसर हाशमी के दीर्घायु होने की मंगल कामना की। इस अवसर पर शाल- श्रीफल से प्रोफेसर हाशमी का अभिनंदन किया गया।
इस अवसर पर विद्यार्थी परिवार अध्यक्ष एडवोकेट सतीश त्रिपाठी, मार्गदर्शक डॉ प्रवीणा दवेसर, डॉ अनिल कवर, नंदिनी सक्सेना, पत्रकार तुषार कोठारी, राजेश जैन ,हेमंत भट्ट, नीरज शुक्ला,आरिफ कुरैशी, कमलेश पांडे ,भारत गुप्ता, श्वेता नागर, माधव सक्सेना, शलभ नागर आदि उपस्थित थे।