मध्यप्रदेश में बाँस से मिलेगा 5 लाख ग्रामीण को रोजगार
भोपाल,22 अगस्त (इ खबरटुडे)। बाँस आधारित उद्योगों के माध्यम से आगामी 5 वर्ष में प्रदेश के 5 लाख ग्रामीण को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाए जाएँगे। मध्यप्रदेश राज्य बाँस मिशन द्वारा इसके लिए ‘किसान बाँस योजना” तैयार की जा रही है। योजना प्रारंभ होने से न केवल बाँस उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि बाँस आधारित उद्योगों का भी विकास होगा। वर्तमान में बाँस उत्पादन और माँग-आपूर्ति में जमीन-आसमान का अन्तर है।
बाँस एक बहु उपयोगी एवं तेजी से बढ़ने वाली वानस्पतिक प्रजाति है। बहु उपयोगी होने के कारण बाँस क्षेत्रों पर अत्यधिक दवाब है। जानकारी न होने से स्थानीय लोग बाँस भिरों को अवैज्ञानिक तरीके से काट कर बाँस उत्पादन को भारी क्षति पहुँचा रहे हैं। योजना के तहत वैज्ञानिक रूप से बाँस उत्पादन होने से बाँस की क्षति रुकने के साथ गुणवत्ता में भी बढ़ोत्तरी होगी और किसान को अच्छी आमदनी होगी। योजना में परम्परागत बाँस उपयोग जैसे कि फर्नीचर, ब्रिज, फेंसिंग, कागज उद्योग, खाद्य पदार्थ के उपयोग के साथ ही गैर-परम्परागत उपयोग जैसे टाइल्स बनाना, फर्श, सीलिंग, आधुनिक महँगी कारों में डेश बोर्ड पेनल, फाईबर उद्योग, ऊर्जा उत्पादन आदि में भी उपयोग होगा।
बाँस का देश और विश्व में एक विशाल बाजार है लेकिन मध्यप्रदेश का बाँस आधारित उद्योगों में योगदान अभी काफी कम है। इसी योगदान को विस्तार देने के लिए किसान बाँस योजना का प्रारूप तैयार किया गया है। बाँस एक बहुआयामी, सतत मिलने वाला सुलभ संसाधन है। इसका रोपण, रख-रखाव कटाई, संरक्षण, ढुलाई एवं सामग्री बनाने में उपयोग बड़ी तादाद में रोजगार के अवसर उपलब्ध करवा सकता है। बाँस खेतों, खेतों की मेढ़ों एवं पड़ती जमीन पर रोपा जा सकता है। एक हेक्टेयर बाँस वन, एक एकड़ वन की तुलना में ज्यादा कार्बन अवशोषित करता हैं। इसलिए किसानों के लिए पेड़ों पर कार्बन क्रेडिट अर्जित करने की अपेक्षा बाँस पर क्रेडिट अर्जित करना अधिक लाभदायक होगा।