November 15, 2024

सकारात्‍मक पोषण व्‍यवहार कोविड 19 से लडने में सहयोगी-डा.प्रभाकर ननावरे

रतलाम,17 मई (इ खबरटुडे)। मुख्‍य चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारी डा. प्रभाकर ननावरे ने बताया कि कोविड 19 एक संक्रामक रोग है जिसका पहला मामला वुहान चीन में पाया गया था। 227 से अधिक देश इस बीमारी के संक्रमण से प्रभावित हो चुके हैं।

कोविड 19 के सामान्‍य लक्षण बुखार, सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ आदि हैं तथा कतिपय मामलों में शरीर में दर्द, बहती नाक, गले में दर्द और दस्‍त भी देखने में आया है। इसका संक्रमण संक्रमित व्‍यक्ति के खांसने छींकने, संक्रामक बूंदे सतह पर गिरने, संक्रामक बूंदों को हाथों से छूने, संक्रमित हाथों को मिलाने से होता है।

इस प्रकार वायरस का स्‍थानांतरण एक व्‍यक्ति से दूसरे व्‍यक्ति को हो जाता है। कोविड 19 का संक्रमण दिखाई देने पर तत्‍काल चिकित्‍सक से संपर्क करना चाहिए। कोविड 19 के संक्रमण से बचाव के लिए अपने हाथों को बार-बार धोना चाहिए। लोगों के संपर्क में आते समय कम से कम 6 फीट या दो मीटर की दूरी रखना चाहिए।

श्‍वसन संबंधी हाईजीन के लिए खांसते या छींकते समय मुंह पर रूमाल रखना चाहिए। अपने मुंह आंखों और नाक पर हाथ नहीं लगाना चाहिए। रोग प्रतिरोधात्‍मक क्षमता बढाने के लिए पोषण आहार संबंधी सकारात्‍मक व्‍यवहार अपनाना चाहिए। रोग प्रतिरोधात्‍मक क्षमता के मजबूत होने से संक्रमण से लडने में मदद मिलती है।

कोविड संक्रमण होने या ना होने दोनों स्थितियों में माता को अपने शिशु को नियमित स्‍तनपान कराना चाहिए । स्‍तनपान शिशु के लिए अमृत समान है जो रोगों से लडने में मदद करता है। शिशु के जन्‍म के एक घंटे के अंदर स्‍तनपान, छ: माह तक केवल स्‍तनपान, छ: माह बाद पूरक पोषाहार तथा शिशु के दो वर्ष का होने तक स्‍तनपान कराते रहना चाहिए।

जनसामान्‍य को अपने दैनिक भोजन में भोज्‍य पदार्थों की विविधता रखना चाहिए अर्थात प्रतिदिन बदल-बदलकर सब्जियों का चयन करना चाहिए। भोजन में चावल, गेहू , मक्‍का , जावरा का उपयोग करें । विभिन्‍न प्रकार की दालों, सोयाबीन आदि का प्रयाग करें। हरी सब्जियां, फल आदि से मिलने वाले विटामिन से संक्रमण से बचाव में मदद मिलती है। दूध और दूध से बने पदार्थ तथा अंडा, पूरी तरह पका भोजन में विटामिन बी 12 और जिंक जैसे पोषक तत्‍व विद्यमान होते हैं।

अत: इनका प्रयोग करना चाहिए। जंक फुड चिप्‍स, नुडल्‍स, कुरकुरे, ब्रेड, कोल्‍ड ड्रिंक आदि के प्रयोग से बचना चाहिए । साफ और सुरक्षित पेयजल का प्रयोग करना चाहिए। पीने का पानी लेने के लिए डंडी वाले मग का प्रयोग करना चाहिए। गर्भवती माताओं और बच्‍चों को समय-समय पर लगने वाले सभी प्रकार के टीके लगवाना सुनिश्चित करना बेहद आवश्‍यक है।

अपने बच्‍चे को 9 माह की उम्र के बाद 5 वर्ष की आयु होने तक छ: माह के अंतराल पर विटामिन ए की खुराक अवश्‍य पिलाना चाहिए। इससे बच्‍चे की रोग प्रतिरोधात्‍मक क्षमता बढती है। आयरन और फोलिक एसिड की गोलियों का प्रयोग करें तथा अपने बच्‍चे को 9 माह की उम्र के बाद 5 वर्ष की आयु होने तक हर छ: माह के अंतराल पर कृमिनाशन की गोली खिलाना चाहिए।

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