April 20, 2024

खाद्य अधिनियम पर पुनर्विचार के लिये प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

अधिनियम पर विचार के लिये मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाने की मांग

भोपाल 29 जनवरी(इ खबरटुडे)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अव्यावहारिक और क्रियान्वित नहीं किये जा सकने वाले प्रावधानों को देखते हुए इस पर पुनर्विचार करने के लिये प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने पत्र में कहा है कि इस संबंध में जल्दी ही मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाकर प्रत्येक राज्य पर इस अधिनियम के प्रभाव के बारे में विचार जाने जायें और तब तक के लिये इस अधिनियम का क्रियान्वयन रोका जाये।

पत्र में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि इस अधिनियम के तहत छोटे एवं खुदरा खाद्य व्यापारियों के पंजीयन और लायसेंस के प्रावधान अव्यावहारिक हैं। अधिनियम के तहत चार फरवरी 2014 तक खाद्य व्यापारियों का पंजीयन और लायसेंस जारी करने की समय-सीमा तय की गई है। मध्यप्रदेश में करीब 7 लाख खाद्य व्यापारी हैं। इनमें से बड़ा हिस्सा ऐसे गरीब और छोटे खुदरा व्यापारियों का है, जो खोमचे लगाकर, सड़कों के किनारे हाथठेला लगाकर अपना भरण-पोषण करते हैं। ऐसे छोटे दुकानदार भी इस अधिनियम के प्रावधानों से प्रभावित होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि लोगों को सुरक्षित खाद्य सामग्री उपलब्ध करवाना हमारी भी चिंता है परंतु इसमें यह भी देखना होगा कि सभी खाद्य व्यापारियों के लिये एक से मापदण्ड न रहें। उदाहरण के लिये अधिनियम में खाद्य व्यापारियों के टर्न ओवर की कोई न्यूनतम सीमा तय नहीं की गई है। इससे बड़े खाद्य व्यापारियों के साथ छोटे और गरीब खाद्य व्यापारी, जिनमें से कई अनुसूचित जाति, जनजाति के हैं तथा ग्रामीण क्षेत्रों में काम करते हैं, प्रभावित होंगे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा है कि इस अधिनियम में बिना लायसेंस के खाद्य व्यापार करने पर छह माह की सजा और 5 लाख रुपये तक का अर्थ दण्ड तथा बिना पंजीयन के व्यापार करने में 2 लाख रुपये तक अर्थ दण्ड का प्रावधान है। यह छोटे खाद्य व्यापारियों के लिये बहुत अधिक कठोर है। इस अधिनियम से देश में पुन: इंस्पेक्टर राज लागू होने की संभावना रहेगी। इस अधिनियम का दूसरा अव्यावहारिक प्रावधान यह है कि यह अधिनियम अनाज जैसे अप्र-संस्कारित खाद्य पदार्थ पर भी उसी तरह लागू होता है जिस तरह पैकेज तथा प्र-संस्कारित खाद्य पदार्थों पर लागू होता है। मध्यप्रदेश में खरीफ की फसल मंडियों में आने लगी हैं परंतु अधिनियम के कठोर प्रावधान के भय से व्यापारी अनाज नहीं खरीद रहे हैं। इससे किसानों और छोटे खाद्य व्यापारियों में भारी असंतोष है। मुख्यमंत्री ने पत्र के जरिये कहा है कि खाद्य संरक्षा और मानकों के संबंध में केन्द्र सरकार द्वारा माननीय उच्चतम न्यायालय के ध्यान में तथ्यों को भी लाया जाना उचित होगा।

मुख्यमंत्रियों को पत्र

मुख्यमंत्री श्री चौहान इस संबंध में सभी मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिखा है। उन्होंने खाद्य संरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अव्यावहारिक प्रावधानों तथा उससे प्रभावित होने वाले छोटे खाद्य व्यापारियों की जानकारी देते हुए कहा है कि उनके राज्य में भी इस तरह की समस्याएँ आ रही होंगी। श्री चौहान ने इस संबंध में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया है कि वे प्रधानमंत्री के ध्यान में अधिनियम के अव्यावहारिक प्रावधानों को लायें।

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