April 25, 2024

जिले में फर्जी तरीको से किया जा रहा है निजी महाविद्यालय का संचालन

नकल करो डिग्री लो-रॉयल महाविद्यालय

रतलाम,31 अक्टूबर (इ खबरटुडे)। आज जिले में निजी महाविद्यालय केवल पैसा कमाने टैक्स बचाने का साधन बन चुके है। ये निजी कॉलेज शहर व ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले भोले-भाले विद्यार्थीयो को बड़ी-बड़ी डिग्रियों के नाम पर लुभावने विज्ञापनों से आकर्षित कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। इन महाविद्यालय के संचालक अपने धन के बल पर राजनैतिक पद हासिल कर अपनी दुकानदारी चला रहे है। वास्तिविकता में ये उच्च शिक्षा विभाग के नियमो को ताक पर रख कर इन महाविद्यालयो का संचालन कर रहे है। जिले में इन जैसे संचानलको के चलते दिन पर दिन शिक्षा का स्तर घटता जा रहा है। इस प्रकार के महाविद्यालय से डिग्री लेकर निकल ने वाले छात्रों को उस डिग्री के स्तर की नौकरी तक नहीं मिलती है जिसके के कारण उन्हें अपने भविष्य के साथ समझौता करना पड़ता है और छोटी नौकरी करनी पड़ती है।

रॉयल कॉलेज का संचालन कर रहे प्रमोद गुगलिया ने कुछ समय पूर्व ही सालाखेड़ी स्थित अपने कैम्पस में कई ऊंची-ऊंची इमारतों का निर्माण कर अपना व्यवसाय प्रांरभ कर रखा है। काग्रेस में पद के चलते विक्रम यूनिवर्सिटी के कई भ्रष्ट अधिकारीयो से मिल कर अपने महाविद्यालय के विद्यार्थीयो का नाम मेरिट लिस्ट में जुड़वाया जाता है तथा इसी के आधार पर प्रवेश के दौरान महाविद्यालय की महानता का डंका जोर-शोर से बजाकर अधिक से अधिक नये विद्यार्थीयो को अपनी ओर आकर्षित किया जाता है ।
इस महाविद्यालय में फर्जीवाड़े का यह आलम है की विक्रम यूनिवर्सिटी के भ्रष्ट अधिकारी इन कॉलेजो के कर्मचारियों को देखते ही चहक उढ़ते है। ये भ्रष्ट अधिकारी भलीभांति जानते है की यह कॉलेज उनकी ऊपरी कमाई का जरिया है। जहां BBA,BCA,MCA,MBA जैसी बड़ी डिग्री का स्तर गिरता जा रहा है। जहां शासकीय महाविद्यालय में तीन वर्षो से BBA(तीन वर्षी कोर्स) प्रति वर्ष 10 हजार फ़ीस निर्धारित है वहीं इन निजी महाविद्यालय में प्रति वर्ष 17 हजार से 20 हजार तक वसुली जाती है। एक तरफ जहां महाविद्यालय में अध्यन हेतु विद्यार्थीयो से मोटी रकम की मांग की जाती है वही दूसरी तरफ विद्यार्थीयो के लिए मेन रोड से कॉलेज तक जाने का मार्ग पूरी तरह से ख़राब है। बारिश में कीचड़ के चलते दो पहिया वाहन भी निकालना भी मुसीबत बन जाता है लेकिन महाविद्यालय के संचालक अपनी जेबें भरने में ही व्यस्त है।

मोटी रकम लेकर विद्यार्थीयो को नकल कराई जाती है
इस महाविद्यालय में यूनिवर्सिटी की मुख्य परीक्षा में मोटी रकम लेकर विद्यार्थीयो को नकल कराई जाती है। नकल करने वाले जिले के कई नामचीन परिवारों व व्यपारियों के बच्चे होते है जो अपने परिवार की दबंगई व पैसो के दम पर इन बड़ी-बड़ी डिग्रियों को हासिल कर लेते है। मुख्य तक परीक्षा के समय कॉलेज में सभी विद्यार्थीयो को यूनिवर्सिटी के नियम व रोल नम्बर के आधार पर बिठाया जाता है. शुरुआत में ही कमजोर व ना पढ़ने वाले विद्यार्थी अपने प्राचार्य व प्रोफेसर से नकल की बात कर लेते है.

यूनिवर्सिटी के नियम के आनुसार हर विद्यार्थी परीक्षा कक्ष में कम से कम एक घण्टा बैठना होता है। नकल करने वाले विद्यार्थी इस एक घण्टे में जीतना हो सके उतना पेपर हल कर लेते है जैसे ही एक घंटा ख़त्म होता है ये विद्यार्थी कॉपी देकर क्लास से भार निकल जाते है और किसी व्यक्ति विशेष के साथ दूसरे कमरे में चले जाते है वहां पहले से और भी विद्यार्थी मौजूद होते है। कुछ देर बाद वही कॉपी इन विद्यार्थी को दी जाती है जो ये पहली वाली क्लास में दे कर आते है फिर इन सब को अपनी अपनी उत्तर पुस्तिका देकर नकल कराई जाती है। जैसे ही पेपर ख़त्म होता है ये सब लाइन से किसी व्यक्ति विशेष को तय की राशि देकर चले जाते है। यदि कोई अन्य विद्यार्थी इसका विरोध करता है तो इस महाविद्यालय के स्टाफ दवारा डराया व धमकाया जाता है
इन निजी कॉलेजो ने उच्च शिक्षा विभाग के अनेक नियमो की धज्जिया उड़ा रखी है.जिन विषय विशेष (डिग्रियों) के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने(मास्टर डिग्री ) वाले फैकल्टी (प्रोफेसर) की आवश्यकता होती है वही इन कॉलेजों में ऐसे शिक्षक है जिनके पास उसी विषय(कोर्स) की बैचलर डिग्री ही है जहां केंद्र सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में प्राइमरी कक्षाओं को पढ़ाने वाले शिक्षकों को डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) करना अनिवार्य कर दिया है। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि बीएड करने वाले शिक्षक सिर्फ छठी से आगे की कक्षाओं को ही पढ़ा सकेंगे तथा निजी कॉलेज में अध्यापन के लिए एमए और नेट या पीएचडी अनिवार्य है।बावजूद इन महाविद्यालय में पढ़ने वाले ही विद्यार्थीयो फैकल्टी (प्रोफेसर) के पद पर नियुक्त कर दिए जाते है।कांग्रेस नेता प्रमोद गुगलिया ने राजनैतिक ताकत के बल पर अपने निजी कार्यो का एक तरफा विकास कर रखा है.अलग-अलग डिग्रियों व भिन्न-भिन्न यूनिवर्सिटीयो से मान्यता लेकर अच्छाई का चोला पहन कर अपनी मनमानी कर रहे है।

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