November 23, 2024

कांग्रेस के वीरेन्द्र सिंह बने जिपं उपाध्यक्ष

भाजपा सदस्यों ने ही हराया भाजपा प्रत्याशी कैलाश को
रतलाम,9 जुलाई (इ खबरटुडे)। जैसा कि अनुमान था जिला पंचायत उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा सदस्यों की मदद से कांग्रेस के वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने तगडी जीत हासिल कर ली। 16 सदस्यीय जिला पंचायत में वीरेन्द्र सिंह को 12 वोट मिले। इनमें से छ: वोट भाजपा के थे।
पहले दौर में हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में ही यह साफ हो गया था कि उपाध्यक्ष का पद कांग्रेस का खाते में जाएगा। अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस के 6 सदस्यों ने भाजपा की प्रत्याशी निर्मला शंकर पाटीदार को वोट दिए थे। भाजपा नेता शंकर पाटीदार और कांग्रेस के बीच हुए समझौते के मुताबिक अध्यक्ष पद के चुनाव में कांग्रेस सदस्यों को निर्मला पाटीदार के पक्ष में मतदान करना था और वहीं उपाध्यक्ष चुनाव में भाजपा के सदस्यों द्वारा कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया जाना था।
इस बीच सबसे बुरी स्थिति भाजपा संगठन की थी। अध्यक्ष पद पर हुए चुनाव के बाद भाजपा के नेता यह दावा कर रहे थे कि भाजपा जीत चुकी है,लेकिन उपाध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर भाजपा नेता कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं थे। अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान ही भाजपा नेता शंकर पाटीदार के कांग्रेस में शामिल होने की चर्चाएं भी हुई,लेकिन शंकर पाटीदार और उनकी पत्नी ने  यह घोषणा कर दी कि वे भाजपा के साथ है और भाजपा के ही साथ रहेंगे। लेकिन मात्र दो घण्टे बाद हुए उपाध्यक्ष के चुनाव में संगठन निष्ठा के दावों की धज्जियां उड गई। भाजपा ने उपाध्यक्ष पद के लिए कैलाश चन्द्र निनामा को अपना प्रत्याशी बनाया था। जिला पंचायत में भाजपा के दस सदस्य है। इस लिहाज से उपाध्यक्ष पद पर भाजपा के प्रत्याशी को जीतना चाहिए था। लेकिन शंकर पाटीदार द्वारा किए गए समझौते के मुताबिक भाजपा के दस में से छ: सदस्यों ने कांग्रेस प्रत्याशी वीरेन्द्र सिंह के पक्ष में मतदान किया। नतीजा यह हुआ कि भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी कैलाशचन्द्र निनामा को मात्र ४ वोट मिले।
 जिपं अध्यक्ष ही हुई बागी
जिला पंचायत उपाध्यक्ष के लिए हुए चुनाव में खुद जिला पंचायत अध्यक्ष निर्मला पाटीदार ने ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ वोट दिया। ऐसे में अब भाजपा नेताओं के सामने यह सवाल खडा है कि वे डैमेज कंट्रोल कैसे करेंगे? विधानसभा चुनाव सिर पर आ गया है। ऐसी स्थिति में जिला पंचायत अध्यक्ष जैसा महत्वपूर्ण पद एक तरह से कांग्रेस के खाते में चला गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता इस समस्या से कैसे निपटेंगे,इस पर सभी की निगाहें टिकी है।
 ब्लैकमेल की शिकार भाजपा
जिला पंचायत में पिछले डेढ माह से चल रहे रोचक घटनाक्रम में यह साफ हो गया कि प्रदेश की सत्ता पर आसीन भाजपा जैसी कथित तौर पर अनुशासित और कैडर बेस पार्टी को एक तहसील स्तर के नेता ने ब्लैकमेल कर दिया। अपनी ही पार्टी के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को अपदस्थ करने के लिए पहले तो शंकर पाटीदार ने कांग्रेस सदस्यों का साथ लिया और नए अध्यक्ष उपाध्यक्ष के निर्वाचन में भी पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी को बेहिचक हरा दिया। मजेदार बात यह है कि पार्टी अनुशासन को तार तार कर देने वाले उक्त नेता के सामने पार्टी के बडे बडे नेता बौने साबित हो गए। भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए निर्मला पाटीदार को ही अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित किया,जबकि तमाम वरिष्ठ नेता यह जानते थे कि शंकर पाटीदार का कांग्रेस से समझौता है और बहुमत के बावजूद उपाध्यक्ष पद भाजपा के हाथ से निकल जाएगा। भाजपा के लिए यह तथ्य भी बेहद शर्मनाक है कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए पहली बार हुए चुनाव में भी शंकर पाटीदार ने खुले रुप से बगावत की थी,लेकिन इसके बावजूद भाजपा ने शंकर पाटीदार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की बजाय उन्हे संगठन का महत्वपूर्ण पद सौंपा। संगठन के महत्वपूर्ण पद पर होने के बावजूद शंकर पाटीदार ने दोबारा अनुशासनहीनता की,लेकिन भाजपा के किसी वरिष्ठ नेता में यह साहस नहीं था कि वे इस अनुशासनहीनता के विरुध्द कोई कदम उठा सके।
 क्या होगी कोई कार्यवाही?
जिला पंचायत का पूरा नाटकीय घटनाक्रम समाप्त हो जाने के बाद अब भाजपा में यह प्रश्न पूछा जा रहा है कि क्या पार्टी बगावत करने वालों के खिलाफ कोई कडा कदम उठाएगी? हांलाकि भाजपा के जिम्मेदार नेता इस प्रश्न से कतरा रहे है। भाजपा जिलाध्यक्ष बजरंग पुरोहित से जब इ खबर टुडे ने यह प्रश्न पूछा तो वे गोलमोल जवाब देने लगे। उन्होने कहा कि पार्टी की बैठक में इस प्रश्न पर विचार किया जाएगा। वैसे पिछले डेढ माह के घटनाक्रम को देखने से यह स्पष्ट है कि भाजपा नेताओं में बगावत के खिलाफ कोई कडी कार्यवाही कर पाने की इच्छाशक्ति बिलकुल भी नहीं है। बहरहाल ऐसी स्थिति में यह तय है कि इन घटनाओं का खामियाजा आसन्न विधानसभा चुनाव में पार्टी को झेलना पडेगा।
उंटवाल के लिए बडी समस्या
जिला पंचायत में हुई घटनाओं का सर्वाधिक बुरा असर नगरीय प्रशासन राज्य मंत्री मनोहर उंटवाल पर पडने की आशंका है। जिला पंचायत के नवनिर्वाचित उपाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह सोलंकी आलोट क्षेत्र से ही है और वे श्री उंटवाल परंपरागत प्रतिद्वंदी सांसद प्रेमचंद गुड्डू के खास है। ऐसी स्थिति में आगामी विधानसभा चुनाव में श्री उंटवाल को अब बडी चुनौती का सामना करना पडेगा। वैसे भी इस प्रकरण से आलोट क्षेत्र में श्री उंटवाल  का दबदबा कम हुआ है,वहीं कांग्रेस का उत्साह चरम पर जा पंहुचा है।

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