बारिश के दौरान नदियों के उफनने और रास्ते बंद,अपनों को अंतिम विदाई देना भी मुश्किल
अधिकांश गांवों में नहीं है मुक्तिधाम
बारिश में नदियों और कीचड़ भरे रास्तों से गुजर कर निकालनी पड़ती है अंतिम यात्रा
रतलाम,12 अगस्त (इ खबरटुडे)।जिले के ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश गांवों में व्यक्ति की अंतिम यात्रा भी बेहद मुश्किल है। क्षेत्र के अधिकांश गांवों में मुक्तिधाम नहीं है।
बारिश के दौरान नदियों के उफनने और रास्ते बंद होने पर ग्रामीण अपने परिजनों और प्रियजनों को अंतिम विदाई देने में भी भारी परेशानी से गुजरते हैं। मजबूरी में बाढ़ के बीच ही नदी पार करके मुक्तिधाम तक पहुंचना पड़ता है।
यह समस्या जिला पंचायत सदस्य एवं जिला निर्माण समिति के अध्यक्ष नारायण मईड़ा और जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि जगदीश पाटीदार ने शुक्रवार को जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपते हुए बताई। श्री मईड़ा और पाटीदार ने कलेक्टर बी चंद्रशेखर से मुलाकात करते ग्रामीणों की समस्या बताई। उन्होंने बताया कि किसी अपने को विदाई देना परिवार के लिए सहज नहीं होता है। ऊपर से जिले के लगभग 60 फीसदी से अधिक गांवों में मुक्तिधाम भी नहीं है। इससे परिजनों का अंतिम संस्कार करने के लिए ग्रामीणों को काफी दूर तक जाना पड़ता है।
अनिवार्य हो हर गांव में निर्माण
सदस्यों ने बताया कि बारिश के दौरान गांव के आसपास पानी के कारण नाले, नदियों के पानी से उफनने और रोड़ न होने से कीचड़ और गाद से होकर अंतिम यात्रा को गुजरना पड़ता है। इस समस्या से देखते हुए हर ग्राम पंचायत को प्रत्येक गांव में मुक्तिधाम बनवाऐं जाऐं। इसके लिए जनभागीदारी मद या एनआरजीएस मद या किसी अन्य मद से समस्त व्यक्तियों की सहमति से मुक्तिधाम स्थल चयन कर निर्माण करवाया जाए। इससे ग्रामीणों को इस समस्या से निजात मिलेगी और वे अपने प्रियजनों का अंतिम संस्कार पूरी रीति और परंपरा के साथ सहजता से कर पाऐंगे।