May 19, 2024

2020 में 20 साल तक शासन करने की 20 वीं वर्षगांठ अद्भुत संयोग,भारत में डिजिटल क्रांति के जनक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी

– पंडित मुस्तफा आरिफ

व्यापार की भाषा में अंग्रेजी का एक शब्द यूएसपी सर्वाधिक प्रचलित हैं, इसका अर्थ होता है किसी भी वस्तु को बेचने के लिए उसकी विशेषता से अवगत कराना। विश्व के अनेक देशों के नेताओं का आंकलन उनके शासन संचालन की यूएसपी से होता है, यानि उनकी वो प्रकृति या प्रवृत्ति जो उन्हें शासन के संचालन में सबसे अलग प्रदर्शित करती हैं, वो हीं उनकी विशेषता होती हैं, वो ही उन्हें लोकप्रियता के सर्वोच्च शिखर पर स्थापित करती हैं।
7 अक्टूबर 2001 से 7 अक्टूबर 2020 तक सफलता के साथ शासन चलाने की श्री नरेन्द्र मोदी की भी अपनी यूएसपी हैं, जिसके वजह से वो विश्व के महान नेताओं की श्रेणी में हैं। राजनैतिक प्रेक्षको और विशेषज्ञों के अनुसार उनके शासन करने की यूएसपी हैं, समय के साथ बदलाव। उनकी यूएसपी यहीं है कि वो वक्त की नब्ज को पहचान कर उस पर मजबूत पकड़ बनाएं रखते हैं। सबका साथ सबका विकास का उनका सिद्ध मंत्र सबको जोङकर कैसे रखा जाएं, इस दिशा में कारगर व उपयोगी सिद्ध हुआ हैं। इस कार्यपद्धति का सबसे बड़ा उदाहरण है कोरोना काल। कोरोना काल के प्रारंभ से लेकर अनलाक 5 तक श्री मोदी के ये प्रयास रहैं कि ऐसा क्या किया जाएं जिससे देश का जनमानस महामारी की चपेट से बचें। इस दिशा में प्रशासनिक के साथ साथ उनके आध्यात्मिक नुस्खो से जनमानस को व्यस्त रखने में सफल हुए। आलोचना की दृष्टि से हर शासक की गलतियाँ ढूंढना आसान है, लेकिन सच को स्वीकार करना और पचाना आलोचकों के लिए कठिन है। लेकिन जनोन्मुखी शासक अपना काम करता है, उस कसोटी पर श्री नरेन्द्र मोदी खरे उतरे हैं।

श्री नरेन्द्र मोदी 7 अक्टूबर 2001 से 2014 तक सतत गुजरात के मुख्यमंत्री रहैं, और 2014 से अब तक प्रधानमंत्री रहते हुए 7 अक्टूबर 2020 को कामयाब शासन संचालन के 20 वर्ष पूर्ण किये। 6941 दिन के अपने कार्यकाल पूर्ण करते हुए उनको अपनी उपलब्धियों पर गर्व है राष्ट्र के एक सेवक के रूप मे। इस अवसर पर एक ट्विट के माध्यम से उन्होंने कहा कि “बचपन से मेरे मन में एक बात संस्कारित हुई कि जनता जनार्दन ईश्वर का रूप होती हैं और लोकतंत्र में ईश्वर की तरह ही शक्तिमान होती है। इतने लंबे कालखंड तक देशवासियों ने मुझे जो जिम्मेदारियां सोंपी है, उन्हें निभाने के लिए मेंने पूरी तरह प्रमाणिक प्रयास किये है। आज जिस प्रकार देश के कोने-कोने से आप सबने आशीर्वाद और प्रेम बरसाया है, उसका आभार प्रकट करने के लिए आज मेरे शब्दों की शक्ति कम पङ रहीं हैं। देश सेवा, गरीबों के कल्याण और भारत को नयी ऊंचाईयों पर ले जाने का हमारा जो संकल्प हैं, उसे आपका आशीर्वाद, आपका प्रेम और मजबूत करेगा।।।”

श्री नरेन्द्र मोदी के 2001 से लेकर 2020 तक की शासन यात्रा का देश विदेश के ज्योतिष शास्त्रीयो और विद्वानो ने भी अपनी अपनी कसौटी पर परखा है। सूफी गाइडेंस चैनल लंदन के प्रमुख तत्वज्ञानी संत जनाब अली रजा शाह साहब अल आबिदी ने उनके लिए 2021 का साल अधिक उपयोगी बताया है। उनके अनुसार लंबे समय तक विश्व की राजनीति पर उनका स्थान बना रहेगा, विगत वर्षों में वो नेता के दर्जे से कहीं उपर उठकर महापुरुष यानि पेट्रियोट के स्थान पर आ गये हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित जय गोविंद शास्त्री के अनुसार जब 2001 में शुक्र मे शनि की दशा आई थी तब ये मुख्यमंत्री बने थे, आगे 2028 तक मोदी जी का जलवा मंगल की दशा के कारण जारी रहेगा, कोई उन्हे नही हिला सकता। नवम्बर 2028 तक ये जो चाहेंगे जैसा चाहेंगे वैसा ही होगा। इनकी कुंडली में रूचक योग बनता है, पंच महाकुंड योग में रूचक और गज केसरी आता है, गज केसरी योग ज्योतिष का सबसे प्रधान योग हैं पहले नम्बर का सबसे बड़ा योग, ये योग व्यक्ति को बाहुबली निर्भिक बनाता है। रूचक योग हैं साथ में चंद्रमा भी हैं कठोर निर्णय लेने वाला अदम्य साहसी बनाता है। सबसे बङी बात ये है कि इनका राहु बुद्धि भाव में बैठा हुआ है, राहु राक्षसों और दैत्यों के सेनापति है, चूंकि इनकी बुद्धि राहु से प्रेरित होती है इसलिए इनकी चालों को समझ पाना आसान नहीं है। मुझे उनमें महादेव का अंश दिखाई देता है म। छोटी छोटी बातों पर इनकी चुप्पी को लेकर जो आक्रोश हैं वो अनावश्यक हैं। देश के प्रधानमंत्री छोटी छोटी बातों को लेकर सामने तो नहीं आ सकते हैं। फिर भी उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश और मन की बात से अपनी बात रखने का गरिमामय रास्ता चुना है।।।

भारत में विभिन्न घटनाओं पर उनकी चुप्पी को लेकर व्यापक प्रतिक्रिया हैं, लेकिन एक प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार इसे एक अच्छे प्रशासक का अच्छा गुण मानते हैं। उनके अनुसार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर उनके विचारों और प्रतिक्रिया से भारत का दृष्टिकोण सारा विश्व जानना चाहता हैं। भारत के दैनंदिन के विषयों पर मन की बात के माध्यम से खुल कर अपने विचार रखते हैं और देश के विभिन्न भागों के लोगो का अभिमत जानते हैं और उनसे विस्तृत चर्चा करते हैं, इसी तरह राष्ट्र के नाम संदेश के लिए देश के लोगो के सामने अपनी बात सार्वजनिक रूप से रखते हैं, और जनता को प्रोत्साहित कर उन्हें संक्रमण के प्रभाव से जल्द से जल्द छुटकारा मिले इस दिशा में मार्गदर्शन देते हैं। उनकी कार्यपद्धति का सबसे बेहतरीन तरीका है, देश की जनता को सरकार की सक्रियता का आभास कराना जिससे कि उनको लगें कि सरकार उनके कल्याण के लिए सक्रिय हैं। 2014 में केंद्र की सत्ता संभालने के बाद सारे देश को स्वच्छता अभियान के साथ जोङ कर और बापू के ऐनक को प्रतीक चिन्ह बनाकर ये जताया कि स्वच्छता एक नैसर्गिक गुण हैं जिसे देश के हर व्यक्ति को अपनाना ज़रूरी। दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी ने स्वयं अपने शोच की सफाई कर भारत के स्वाधीनता संग्राम का सूत्रपात किया था। एक अच्छी पहल एक लोक कल्याणकारी सोच जिसे पूरे देश ने दिल के साथ अपनाया।।।

चाहे गुजरात के मुख्यमंत्री का काल हो या भारत के प्रधानमंत्री का कार्यकाल श्री नरेन्द्र मोदी अपने ढंग से अपने मापदण्ड के आधार पर शासन करने के लिए भारत में हीं नहीं संपूर्ण विश्व में अपनी एक अलग छाप बना चुके हैं। बेबाक पद्धति से काम करनें वाले महापुरुष एक दृष्टिकोण लेकर आलोचनाओं पर सार्वजनिक टिप्पणियों से बचकर, परंतु चिंतन मनन करते हुए आगे बङते हैं, चाहे उनके आलोचक कुछ भी कहते रहैं, वो लोक कल्याण व राष्ट्र कल्याण के लिए समर्पित होते हैं। इस दृष्टि से उनकी तुलना श्रीमती इंदिरा गांधी से करना अनुचित न होगा, संभव है राजनैतिक प्रेक्षक इससे सहमत होंगे। सतत चलते रहना प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के व्यक्तित्व का यूएसपी है, अविचलित लेकिन अविरल। ऐसे नेता आलोचना के शिकार भी होते हैं, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी ये बात जुङी हुई है नोट बंदी हो या सीएए हो या चीन के साथ अपनी रण नीति पर चुप्पी या तीन कृषि सुधार कानून वो आलोचना के शिकार हुए। इसके विपरीत राम जन्मभूमि मे भूमि पूजन उनके कार्यकाल का एक उत्कृष्ट कार्य है, जिसे हमेशा याद रखा जाएगा। जनसंघ से लेकर भाजपा तक कश्मीर से 370 हटाने का कार्य एक दुरूह स्वप्न था। उनके साहस ने साकार किया, इंशाअल्लाह आने वाले समय में ये अदम्य साहस राष्ट्र निर्माण में एक मिल का पत्थर साबित होगा। 2014 मे सत्ता संभालने के बाद उन्होंने देश में डिजिटल क्रांति का सूत्रपात किया, तब भी विपक्ष की आलोचना का शिकार होना पङा। लेकिन लॉकडाउन की विवशता और कोरोना महामारी के दौरान व्यापार को जारी रखकर जनता को सुविधा उपलब्ध कराने और वर्क टू हम के जरिए रोजगार को बचाने की दिशा में डिजिटल क्रांति के योगदान को विस्मृत करना नामुमकिन होगा। जैसे श्री राजीव गांधी को भारत में आई टी क्रांति का जनक माना जाता है, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी डिजिटल क्रांति के जनक के रूप में जाने जाएंगे।

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