सदैव ही अविस्मरणीय रहेंगे तपस्या के ये पल – राष्ट्रसन्तश्री
काश्यप परिवार ने मासक्षमण के 50 तपस्वियों का किया अभिनन्दन
रतलाम 23 अगस्त (इ खबरटुडे)।तप अनुमोदना का यह समारोह विशिष्ट है । तपस्या के ये पल रतलामवासियों को सदैव अविस्मरणीय रहेंगे, क्योंकि पहली बार 50 से अधिक मासक्षमण और अन्य तपस्याएं हुई हैं। यह धर्म प्रभावना को सिद्ध करने वाली तप आराधना है। जैन तप देश के कर्णधारों को प्रेरणा देने वाला होता है। इसकी अनुमोदना पुण्यों का उदय करने वाली है।
रतलाम नगर की जनता में धर्म की प्रभावना के प्रति कितना समर्पण है, यह मैंने पहली बार देखा है। मंगल प्रवेश के जुलूस के बाद तपस्वियों का चल समारोह का भी रतलाम में दूसरा इतिहास बना है। राष्ट्रसन्त, जैनाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के इन उद्गारों के बीच चातुर्मास आयोजक व विधायक चेतन्य काश्यप परिवार ने समारोह आयोजित कर जयन्तसेन धाम में दीर्घ तप-आराधकों का अभिनन्दन कर तप अनुमोदना की।
तप अनुमोदना समारोह में चातुर्मास आयोजक परिवार के चेतन्य काश्यप, मातुश्री तेजकुंवरबाई काश्यप, नीता काश्यप, सिद्धार्थ काश्यप व श्रवण काश्यप ने मासक्षमण तपस्वियों को स्वर्ण मुद्रा के साथ अभिनन्दन पर्त भेंट कर उनका सम्मान किया। चार घंटे से अधिक चले इस समारोह में मासक्षमण के साथ 21, 15, 11, 9 तथा अठाई की तप आराधना करने वाले तपस्वियों का भी बहुमान किया गया । समारोह का शुभारम्भ राष्ट्रसन्तश्री ने मंगलाचरण कर किया। उन्होंने हजारों की संख्या में उपस्थित तपस्वी, उनके परिजनों, ईष्ट-मिर्तों व श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि तपस्वियों द्वारा किया गया त्याग और तपस्या रतलाम की शान व धर्म प्रभावना को बढ़ाएगा। तपस्या कर्मों का क्षय कर आत्मा को निर्मल करती है। तपस्याएं कई होती हैं, लेकिन जिनशासन में इसका विशिष्ट महत्व है। यह तपस्याएं राष्ट्र को भी नई दिशा देती है। जिनशासन की हर वृत्ति, प्रवृत्ति राष्ट्र को सब तरह से अवदान दे रही है।
आचार्यश्री ने कहा कि तपस्वी कई दिनों तक कुछ खाते-पीते नहीं और पारणा के बाद भी 10-15 दिन तक सिर्फ तरल पदार्थों का ही सेवन करते हैं। देश के कर्णधार एक दिन के अनशन पर बैठते हैं और उनकी वाहवाही हो जाती है। जैन धर्म की यह तपस्या अनशन नहीं, अपितु अन्न की बचत और स्वयं की शक्ति को जागृत करने का माध्यम है। चातुर्मास के दौरान जिनशासन के आराधक पूरे भारत में लाखों उपवास के जरिए अन्न की बचत कर राष्ट्र के प्रति अपना योगदान देते हैं। इससे धर्म भी होता है, बचत भी होती है और आत्मसाधना का कार्य भी हो जाता है। धर्मसभा में राष्ट्रसन्तश्री ने सभी तपस्वियों को प्रत्याख्यान करवाए। प्रदेश के ऊर्जा मंर्ती, अ.भा. राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पारसचन्द्र जैन ने रतलाम में तपस्या का ऐतिहासिक अवसर निर्मित करने के लिए राष्ट्रसन्तश्री के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए चातुर्मास आयोजक व विधायक चेतन्य काश्यप परिवार को साधुवाद दिया। उन्होंने स्वरचित पंक्तियों के माध्यम से तपस्वियों के तप की अनुमोदना की।
इस मौके पर श्री काश्यप ने कहा कि रतलाम में राष्ट्रसन्तश्री के चातुर्मास से सर्वर्त आध्यात्मिकता घुल गई है। यह उनके परिवार का सौभाग्य है कि श्रीसंघ ने चातुर्मास आयोजन का लाभ उन्हें दिया है। वे मानते हैं कि गुरुदेव के आशीर्वाद से तप अनुमोदना समारोह का सबसे बड़ा लाभ परिवार को मिला है। यह अनुमोदना बहुत बडा काम करेगी। रतलाम की धर्म-धरा पर राष्ट्रसन्तश्री के आशीर्वाद से हो रहे आयोजनों को पूरा देश देख रहा है। उन्होंने जैन दर्शन की महिमा के साथ तप की अनुमोदना की। काश्यप परिवार द्वारा इस मौके पर र्तिस्तुतिक संघ, तपस्वियों के परिजनों, ईष्ट-मिर्तों का स्वामीवात्सल्य भी आयोजित किया गया। समारोह में सभी तपस्वियों का सामूहिक पारणा भी हुआ। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ पारसमलजी वोरा (खरसौदवाला) ने लिया।