शहर का विकास नहीं कर पाया विकास प्राधिकरण
लोगों की उम्मीदें टूटी,विकास के नाम पर सिर्फ एक योजना
रतलाम,12 जुलाई(इ खबरटुडे)। शहर के लोगों को बडी उम्मीद थी कि रतलाम विकास प्राधिकरण के गठन से शहर के विकास में तेजी आएगी,लेकिन अब लोगों की उम्मीदें टूटने लगी है। विकास प्राधिकरण के प्रथम अध्यक्ष की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते विकास प्राधिकरण उपयोगिता विहीन हो चला है। रतलाम के विकास का मास्टर प्लान बना तो है लेकिन लगता है कि विकास प्राधिकरण में मास्टर प्लान को लागू करने की ताकत ही नहीं है।
पिछले विधानसभा चुनाव में रतलाम विकास प्राधिकरण की स्थापना महत्वपूर्ण चुनावी मुद्दा था और मुख्यमंत्री ने विकास प्राधिकरण की स्थापना का वादा किया था। मुख्यमंत्री ने अपने इस कार्यकाल में इस वादे को निभाया भी। रतलाम में विकास प्राधिकरण की स्थापना भी की गई। नगर निगम चुनाव में महापौर पद के प्रबल दावेदार रहे विष्णु त्रिपाठी को रतलाम विकास प्राधिकरण का प्रथम अध्यक्ष मनोनीत किया गया। विकास प्राधिकरण की स्थापना से शहर वासियों में उम्मीदें जगी थी कि शहर का विकास अब तेजी से होगा। लेकिन ये उम्मीदें जल्दी ही टूटने लगी।
प्राधिकरण अध्यक्ष की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण प्राधिकरण उपयोगिता विहीन होने लगा है। कहने को विकास प्राधिकरण ने एक आवासीय योजना प्रारंभ की है,लेकिन उसकी स्थिति उंट के मुंह में जीरे के समान है। इसके अलावा प्राधिकरण शहर में कहीं अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं करा सका। प्राधिकरण अध्यक्ष पद सम्हालने के बाद से शहर विकास से सम्बन्धित एक भी व्यवस्थित योजना प्रस्तुत नहीं कर पाए। प्राधिकरण की इकलौती आवासीय योजना भी प्रशासनिक अधिकारियों की मेहरबानी से परवान चढी वरना प्राधिकरण अध्यक्ष के पास तो हर समय संसाधनों की कमी का ही रोना है।
आसपास के शहरों में संचालित हो रहे विकास प्राधिकरणों की तुलना में रतलाम विकास प्राधिकरण की हालत बेहद खराब है। प्राधिकरण के पास न तो स्टाफ है और ना अन्य संसाधन। प्राधिकरण अध्यक्ष के पास विकास के लिए जरुरी दृष्टिकोण का भी अभाव है। विकास प्राधिकरणों को स्वयं के वित्तीय संसाधन विकसित कर विकास योजनाएं बनाने के अधिकार है,लेकिन विकास के उचित दृष्टिकोण के अभाव में इन अधिकारों का भी उपयोग नहीं हो पा रहा है। प्राधिकरण अध्यक्ष अपने आप में ही इतने मगन है कि प्राधिकरण के अन्य सदस्यों की नियुक्ति कराने के लिए भी उन्होने कोई प्रयास नहीं किया। प्राधिकरण के संचालन हेतु आवश्यक अधिकारियों के पद स्वीकृत करा कर नियुक्तियां करवाना उनकी पहली प्राथमिकता होना चाहिए थी,लेकिन उन्होने इस सम्बन्ध में भी केवल औपचारिकताएं ही निभाई। बहरहाल प्राधिकरण अध्यक्ष की अकर्मण्यता और अयोग्यता की बदौलत विकास प्राधिकरण प्रशासनिक अधिकारियों की दया पर निर्भर हो कर रह गया है और परिणामत: प्राधिकरण के माध्यम से शहर के विकास का सपना दूर की कौडी बनकर रह गया है।
इस असफलता का खामियाजा भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में निश्चित तौर पर भुगतना पड सकता है।