November 23, 2024

राग रतलामी/मृग मरीचिका जैसा हो गया रतलाम का कोरोना मुक्त होना,लगातार मिल रहे है नए कोरोना संक्रमित,वर्दी के साथ बदतमीजी का गहना

-तुषार कोठारी

रतलाम। जब से कोरोना आया है,लगातार कोरोना मुक्त होने के सपने देखे जा रहे हैैं। लेकिन ये सपना मृग मरीचिका जैसा हो गया है। हर रोज लगता है कि बस अब हम कोरोना मुक्त हो जाएंगे कि तभी कोई नया संक्रमित सामने आ जाता है। जब से कोरोना आया है,रतलाम की यही कहानी है।
शुरुआती दौर में तो यहां कोरोना का कोई संकट था ही नहीं। लेकिन सरकारी इंतजामिया की लापरवाही के चलते एक मुर्दा शहर में घुस आया और पूरा शहर कोरोना के खतरे तले आ गया। बस फिर क्या था कोरोना की कहानी चल पडी।
लेकिन शहर पर मां कालिका की कृपा भी थी,कि यहां का हर कोरोना मरीज मेडीकल कालेज से ठीक होकर ही बाहर निकला। अब तक 32 कोरोना मरीज कोरोना को मात देकर घरों को लौट चुके हैैं। लेकिन लॉक डाउन के आखरी दौर शहर के लिए बडे बैचेनी भरे रहे हैैं। मेडीकल कालेज के आइसोलेशन वार्ड से लगातार मरीज ठीक होकर तो निकल रहे हैैं,लेकिन जितने मरीज ठीक होकर निकलते हैैं उतने ही वापस भी आ रहे हैैं।
अभी कल तक आइसोलेशन में सिर्फ दो मरीज रह गए थे। सफेद कोट वालों का कहना था कि दोनो मरीज जल्दी ही ठीक होकर घर चले जाएंगे। फिर से ऐसा लगने लगा था कि अब कोरोना मुक्त होने का समय आने ही वाला है। लेकिन रविवार को फिर से तीन नए संक्रमित मिल गए। शुरुआती दौर में सरकारी लापरवाही ने कोरोना को रतलाम में प्रवेश दिया था और बाद वाले दौर में इ पास इसका जरिया बने। बाद वाले दौर में जितने भी संक्रमित मिले थे,वे सारे इ पास लेकर दूसरे शहरों से आए थे। लेकिन रविवार वाला दौर अब नया दौर है। रविवार को मिले तीनों ही पहले मिले एक कोरोना संक्रमित के दोस्त हैैं। दोस्त की नजदीकी के चलते उन्हे कोरोना मिला है। बडी दिक्कत अब यह है कि ये तीनों शहर के तीन अलग अलग इलाकों से मिले है। तीन नए संक्रमितों के कारण कोरोना कहां कहां तक पंहुचा होगा,भगवान जाने। आने वाले दिनों में इसका पता चलेगा। इन स्थितियोंं के चलते शहर के कोरोना मुक्त होने का सपना अभी दूर ही नजर आ रहा है।

वर्दी के साथ बदतमीजी का गहना

वर्दीवालों के बडे साहव साइकिल चलाते हुए गिर पडे और घायल हो गए। दुर्घटना आदिवासी अचंल की पहाडियों में हुई। साहब को फौरन रतलाम लाया गया। शहर के एक निजी अस्पताल में उनकी सर्जरी हुई और वहीं उन्हे भर्ती भी कर दिया गया। खबर बडी थी,इसलिए धीरे धीरे फैल भी गई। गनीमत यह रही कि चोटें गंभीर होने के बावजूद कोई बडा खतरा नहीं था। गंभीर चोटों के लिए सर्जरी होना थी और साहव को भर्ती रहना जरुरी था।
साहब भर्ती हो गए तो अब जिम्मेदारी दूसरे नम्बर वालों पर आन पडी। दूसरे नम्बर वाले साहव ने अपनी जिम्मेदारी को इतने जोर शोर से निभाया कि शहर वालों को उन्होने पीएम- प्रेसिडेन्ट जैसी सिक्योरिटी का नजारा करवा दिया। जिस कालोनी के अस्पताल में साहब भर्ती हैैं,वहां के लोगों को दो तीन दिन में ही पता चल गया कि पीएम प्रेसिडेन्ट की सिक्यूरिटी कैसी होती है।
आमतौर पर वर्दीवालें बदतमीजी का गहना भी अपनी वर्दी के साथ जरुर पहनते हैैं। पहले तो यह माना जाता था कि बदतमीजी का यह गहना उन वर्दीवालों के पास होता है जो सडक पर डण्डे बजाने की ड्यूटी करते है। लेकिन जब से बडे साहब अस्पताल में भर्ती हुए बदतमीजी का यह गहना बडे अफसरो ने भी पहन लिया। चाय से ज्यादा केतलियां गरम हो गई। दो नम्बर वाले साहव वैसे भी खुद को इन्द्र पर जीता हुआ समझते हैं। साहब के भर्ती होने के बाद जैसे ही सारी जिम्मेदारी उनके कन्धों पर आई,वे अपना गहना जोर शोर से चमकाने लगे। कोरोना के नाम पर अस्पताल में घुसने पर तो पाबन्दी लगाई ही गई,अस्पताल वाली सड़क पर आने जाने वालों को भी बन्द कर दिया गया। गनीमत यही थी कि रोड पर बैरिकेट्स नहीं लगाए गए। अस्पताल में कदम रखने पर भी रोक लगा दी गई। सामान्य शिष्टाचार के नाते कोई व्यक्ति,बडे साहब के हालचाल जानने वहां पंहुच गया तो दो नम्बर वाले साहब ने वर्दी के साथ लगे गहने की ऐसी चमक दमक दिखाई,कि हालचाल जानने की इच्छा रखने वालो को उपर वाला याद आ गया।
कालोनी के रहवासी शाम के वक्त चहल कदमी किया करते थे,लेकिन साहब के भर्ती होने के बाद सारी चहल कदमी बन्द करा दी गई। साहब के कालोनी में होने का असर आस पास ही नहीं दूर दूर तक नजर आने लगा। चौराहों पर मौजूद वर्दीवाले भी बदतमीजी के गहने लोगों को दिखाने लगे।
शहर के कई लोगों के बडे साहब से मधुर संबंध हैैं। ऐसे लोगों को दुर्घटना की जानकारी मिलने के बाद खैरियत जानने की उत्सुकता स्वाभाविक तौर पर होनी ही थी। लेकिन पूरे महकमे ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की,कि लोगों को यह पता चल सके कि बडे साहब का स्वास्थ्य कैसा है? वीआइपी लोग अस्पताल में भर्ती होते है तो मेडीकल बुलेटिन जारी किए जाते है,लेकिन महकमे में किसी ने ऐसी कोई व्यवस्था नहीं की। इस सबके बावजूद बडे साहब के शुभचिन्तक उनके जल्दी ठीक होने की शुभकामनाएं कर रहे है,जिससे कि वर्दीवालों की वर्दी पर चढा बदतमीजी का गहना जल्दी उतर सके।

एक म्यान में दो तलवारें

एक म्यान में दो तलवार की पुरानी कहावत इन दिनों मदिरा वाले महकमें में साकार हो रही है। पहले वाले साहब को सरकार ने हटाया था। वो अदालती आदेश लेकर आ गए। सरकार ने जब उन्हे हटाया था,तो उनकी जगह मैडम जी को भेज दिया था। साहब हटे थे,तब मैडम जी सरकारी हुक्मनामे पर महकमे की कुर्सी पर काबिज हो गई थी। अदालती हुक्म के बाद अब जब पुराने साहब वापस आए तो मामला एक म्यान में दो तलवार वाला हो गया। कहानी में नया मोड कोरोना के नाम पर लाया गया। जिले के इंतजामिया ने कोरोना की आड लेकर दोनो अफसरों को पहले तो क्वारन्टीन कर दिया,लेकिन बाद में नई आई मैडम जी को दफ्तर जाने की छूट दे दी। पुराने वाले साहब को घर में कैद कर दिया गया। मैडम जी पर बडी मैडम जी की छत्रछाया है,इसलिए उनका क्वारन्टीन,साहब वाले क्वारन्टीन से अलग है। साहब का क्वारन्टीन घर में बन्द रहने का है,मैडम के क्वारन्टीन में कहीं भी जाने की छूट है।

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