मुसलमानों को तय करना होगा उनका हीरो कौन,डॉकलाम या याकूब?
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के ऑल इंडिया उलेमा कांफ्रेंस में इंद्रेश कुमार ने कहा
लखनऊ 8 अगस्त (इ खबरटुडे)। शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (रास्वसंघ) अभा कार्यकारीणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने कहा है कि मुसलमानों को यह तय करना होगा कि उनके समुदाय का हीरो कौन होना चाहिए- पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल डॉ. कलाम या फिर 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट में फांसी पर लटकाया गया याकूब मेमन? मुसलमानों को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नजदीक लाने के प्रयासों के बीच उससे जुड़े राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा आयोजित उलेमाओं के सम्मेलन में संघ के प्रचारक इंद्रेश कुमार ने मुसलमानों से डाक्टर एपीजे अब्दुल कलाम बनकर देश की सेवा करने की अपील की है। उन्होंने कहा, यह कैसा संयोग था कि जिस दिन कलाम को पूरे देश ने नम आंखों से अंतिम विदाई दी, उसी तारीख (30 जुलाई) को याकूब मेमन को फांसी दी गई।
उप्र के लखनऊ में शनिवार को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) के ऑल इंडिया उलेमा कांफ्रेंस में इंद्रेश कुमार ने कहा, इंदौर में कार्यक्रम के दौरान एक लड़की सहित 98 फीसदी लोगों ने मुझसे पूछा कि उन्हें कलाम अथवा याकूब में किसका अनुसरण करना चाहिए। संघ पदाधिकारी ने कहा, शायद ऐसा पहली बार हुआ कि किसी के फांसी चढ़ाने के बाद उस शख्स के जनाजे में हजारों की तादाद में लोगों ने शिरकत की। मुझे पूरी उम्मीद है कि उनमें से कुछ लोग इसका फायदा उठाकर लोगों को उकसाने की फिराक में थे। श्री इन्द्रेश ने आज कहा कि हिन्दुस्तान में जहां एक तरफ पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को सम्मान दिया गया वहीं दूसरी तरफ याकूब मेमन को फांसी दी गई। डॉ. कलाम देशवासियों के लिए आदर्श थे जबकि याकूब मेमन दहशतगर्द था और ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी आतंकी को फांसी देने के बाद शव को उसके परिजनों को सौंपा गया हो।