October 7, 2024

भू माफियाओं से लगाकर ब्लैक मार्केटियर्स में हाहाकार

रुपए एडजस्ट करने के लिए तलाश रहे हैं नए नए तरीके,नहीं निकल रहा है कोई रास्ता

रतलाम,11 नवंबर (इ खबरटुडे)। पांच सौ और हजार रु.के नोट बन्द होने के कारण सामान्य लोगों को तो नोट बदलने के लिए परेशानियों का सामना करना पड रहा है,लेकिन असल समस्या शहर के भू माफियाओं,सोने के व्यवसाईयों और कालाधन रखने वालों के सामने है। इन लोगों में हाहाकार मचा हुआ है। जिन लोगों के पास बडी मात्रा में कालाधन मौजूद है,वे रुपए एडजस्ट करने के लिए नए नए तरीके तलाश रहे हैं। जनधन योजना के खाताधारकों का भी उपयोग करने की कोशिशें की जा रही है।
पांच सौ और हजार रु.के नोट बन्द होने के कारण मध्यम और निम्र आय वर्ग के लोगों को थोडी परेशानियों का सामना करना पड रहा है। बैंकों से रुपए निकालने के लिए लम्बी लम्बी कतारें लगी हुई है। इसी तरह एटीएम पर भी भीड जमी हुई है। बैंकों से जुडे सूत्रों का दावा है कि ये समस्या एक हफ्ते में समाप्त हो जाएगी। लेकिन वास्तविक समस्या उन लोगों के सामने हैं जिनके पास भारी मात्रा में कालाधन नगदी के रुप में मौजूद है। सारा काला धन पांच सौ और हजार रु. के नोटों के रुप में है और ये नोट समाप्त कर दिए जाने से कालाधन एक ही बार में समाप्त हो गया है।
शहर के बडे भू माफिया,सोने चांदी के कारोबारी और अन्य व्यवसायी तथा भ्रष्ट अधिकारियों के सामने अपने घरों में मौजूद पांच सौ और हजार रु.के नोटों को नई करेंसी में बदलने की चुनौती आ गई है। बैंक सूत्रों के मुताबिक काला धन रखने वाले अधिकांश लोग ऐसे व्यक्तियों को तलाश कर रहे है जिनके पास बैंकखाता है और जो बैंक के माध्यम से पुराने नोट बदल सकते है। पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जनधन योजना में जीरो बैलेंस पर खोले गए लाखों बैंक खातों पर कालाधन रखने वालों की नजर है। बैंक सूत्रों के मुताबिक अनेक व्यवसाईयों ने अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों व अन्य व्यक्तियों को तीस से चालीस हजार रु. देकर उनके स्वयं के खातों में जमा करने के लिए तैयार किया और बैंकों में भेज दिया। हांलाकि ये लोग नहीं जानते थे कि जनधन योजना के बैंक खातों में एक बार में पांच हजार रु.से अधिक की राशि जमा नहीं कराई जा सकती। नतीजा यह रहा कि बैंकों ने ऐसे तमाम लोगों को बैरंग वापस लौटा दिया,जो जनधन योजना के बैंक खाते में बीस,तीस या चालीस हजार रु.एकमुश्त जमा कराने पंहुच गए थे।
अनेक व्यवसाईयों ने अपने काले धन को बदलने के लिए किसानों की मदद लेने का तरीका भी ढूंढा था। सामान्य तौर पर कृषि आय करमुक्त है और किसानों के बैंक खातें खुले हुए है। लेकिन सरकार ने इस तरीके को भी अनुपयोगी बना दिया है। किसानों के खातों में उनके किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट से दुगुनी राशि तक ही जमा कराई जा सकती है।
शहर में भू माफियाओं की बदौलत जमीनों के भाव भी आसमान छू रहे थे,लेकिन मोदी की इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भू माफियाओं की शामत आ गई है। जमीनों के कई सौदें अटक गए है। अब तक जमीनों के सौदों में मात्र बीस से तीस प्रतिशत राशि एक नम्बर की होती थी,जबकि शेष सत्तर या अस्सी प्रतिशत राशि अघोषित यानी ब्लैक मनी होती थी। एक नम्बर की राशि तो चैक या बैंक के माध्यम से भुगतान की जाती थी,जबकि शेष बडा हिस्सा पांच सौ या हजार रु.के नोटों से अदा किया जाता था। लेकिन अब ये सारे भुगतान अटक गए है। जमीनों के जानकारों का कहना है कि अब इन सौदों में विवाद की स्थितियां बनने लगी है। आने वाले दिनों में जमीनों की कीमतें घटने की उम्मीदें जताई जा रही है। पांच सौ और हजार रु. के नोट बन्द होने से जमीनों के नए सौदे फिलहाल पूरी तरह बन्द हो गए है।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds