फिर गिर सकती है निर्दलीय विधायक पर गाज
स्वेच्छानुदान में हुई गडबडी की जांच ने दोषी ठहराया विधायक को
रतलाम,28 जुलाई (इ खबरटुडे)। शहर के निर्दलीय विधायक पारस सकलेचा पर फिर से गाज गिर सकती है। स्वेच्छानुदान मामले में हुई गडबडी की जांच में उन्हे दोषी पाया गया है। जिला प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है। श्री सकलेचा की विधायकी फिलहाल वेन्टीलेटर पर है।
उल्लेखनीय है कि विधायक स्वेच्छानुदान राशि में गडबडी के आरोपों के चलते जिला प्रशासन द्वारा इस मामले की जांच करवाई गई थी। विधायक पारस सकलेचा द्वारा स्वीकृत स्वेच्छा नुदान राशि के मामले ने सबसे पहले तब तूल पकडा था,जब विधायक प्रतिनिधि स्वेच्छानुदान राशि का एक चैक लेकर बैंक में पंहुचे थे। उक्त राशि किसी हितग्राही के लिए स्वीकृत की गई थी और उसका चैक लेकर विधायक प्रतिनिधि बैंक पंहुचे थे। बैंक प्रबन्धन ने शंका के चलते उक्त चैक का भुगतान रोक दिया था और जब हो हल्ला मचा तब विधायक प्रतिनिधि मौके से भाग गया था। इस शिकायत के बाद कुछ व्यक्तियों ने बाकायदा शपथपत्र देकर प्रशासन को शिकायत की थी कि उनके नाम पर स्वेच्छानुदान राशि स्वीकृत हुई और इस राशि का भुगतान भी हो गया,जबकि इन व्यक्तियों ने कभी स्वेच्छानुदान राशि के लिए आवेदन तक नहीं दिया था। इस प्रकार के गंभीर आरोप सामने आने के बाद जिला प्रशासन द्वारा अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी को इस मामले की जांच सौंपी गई थी।
जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है और जांच रिपोर्ट शासन को कार्यवाही के लिए भेज दी गई है। हांलाकि अधिकारी सीधे तौर पर यह बताने को राजी नहीं है कि इस रिपोर्ट में क्या निष्कर्ष निकाले गए है। कलेक्टर राजीव दुबे ने इ खबर टुडे को बताया कि जांच पूरी हो चुकी है और इसे शासन को भेजा जा चुका है।
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जांच रिपोर्ट पारस सकलेचा के लिए नया सिरदर्द साबित हो सकती है। जांच रिपोर्ट में इस बात को मोहरबन्द किया गया है कि विधायक स्वेच्छानुदान राशि में बडे पैमाने पर गडबडियां हुई है। जांच रिपोर्ट में यह भी निष्कर्ष सामने आया है कि स्वेच्छानुदान राशि के भुगतान के लिए शासन द्वारा बनाई गई प्रक्रिया को विधायक ने अपने दबाव से बदलवाया था। वास्तव में स्वेच्छानुदान राशि का भुगतान अव्वल तो ड्राफ्ट बनाकर किया जाना चाहिए था और यदि चैक जारी किया जाता है,तो यह सीधे हितग्राही के पक्ष में एकाउन्ट पेयीचौक होना चाहिए,जबकि श्री सकलेचा द्वारा स्वीकृत स्वेच्छानुदान राशि के चैक एकाउन्ट पेयी नहीं थे। राशि के चैक भी हितग्राही को ही दिए जाने की व्यवस्था है लेकिन निर्दलीय विधायक के दबाव में उक्त चैक हितग्राही को नहीं दिए जाकर विधायक प्रतिनिधि को दिए गए।
जानकार सूत्रों का कहना है कि उक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर श्री सकलेचा के खिलाफ बेहद कडी कार्यवाही की जा सकती है। यहां तक कि उनके निर्वाचन में भाग लेने पर रोक लगाने और आपराधिक प्रकरण दर्ज करने जैसी कार्यवाही भी इस रिपोर्ट के आधार पर संभव है। अब गेंद शासन के पाले में है।
उल्लेखनीय है कि आधारहीन और झूठे आरोप लगाकर मतदाताओं को भ्रमित करने के मामले में पहले ही उच्च न्यायालय श्री सकलेचा के निर्वाछन को शून्य घोषित कर चुका है। श्री सकलेचा की विधायकी फिलहाल वेन्टीलेटर पर है। उच्चतम न्यायालय ने उन्हे सशर्त स्थगन दिया है। सर्वोच्च न्यायालय में कभी भी इस मामले पर अंतिम निर्णय आ सकता है। ऐसी विकट स्थिति में अब श्री सकलेचा के खिलाफ इस प्रकार की जांच रिपोर्ट आना उनके लिए बेहद परेशानीभरा साबित होगा।