जयन्तसेन धाम में धर्म-आध्यात्म के साथ आज शिक्षा का संगम
प्रतिभा सम्मान समारोह में सम्मानित होंगे 1600 मेधावी विद्यार्थी
रतलाम 6 अगस्त(इ खबरटुडे)। राष्ट्रसन्त वर्त्तमानाचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की पावन निश्रा में 7 अगस्त को जयन्तसेन धाम में धर्म और आध्यात्म के साथ शिक्षा का संगम होगा। सुबह भक्तामर पाठ, विशेष प्रवचन के बाद दोपहर 2.30 बजे चेतन्य काश्यप फाउण्डेशन द्वारा दोपहर मेधावी विद्यार्थियों का प्रतिभा सम्मान समारोह आयोजित किया गया है। इसमें कक्षा दसवीं तथा बारहवीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले करीब 1600 छात्र-छात्राएं सम्मानित होंगी।
फाउण्डेशन अध्यक्ष व विधायक चेतन्य काश्यप ने बताया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा होंगे। अध्यक्षता म.प्र. भाजपा अध्यक्ष नन्दकुमारसिंह चौहान करेंगे। जिले के प्रभारी स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी एवं महापौर डॉ. सुनीता यार्दे विशेष अतिथि रहेंगे। प्रतिभा सम्मान समारोह में मेधावी छात्र-छात्राओं के साथ अभिभावक भी सम्मिलित होंगे। प्रतिभा सम्मान समारोह समिति के शैलेन्द्र डागा, निर्मल लूनिया, महेन्द्र नाहर, मनीषा शर्मा, सोना शर्मा, मुकेश सोनी तथा आनन्द जैन ने विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से कार्यक्रम में अधिक से अधिक उपस्थिति का आग्रह किया है।
पापों का प्रक्षालन पर विशेष प्रवचन –
चातुर्मास के तीसरे रविवार 7 अगस्त को जयन्तसेन धाम में सुबह 9.00 से 11.00 बजे तक राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में पापों का प्रक्षालन विषय पर विशेष प्रवचन होंगे। इससे पूर्व सुबह 7.00 बजे श्री नेमिनाथ भगवान के जन्म और दीक्षा कल्याणक के उपलक्ष्य में परमात्मा का अभिषेक किया जाएगा। पंचान्हिका महोत्सव के तीसरे दिन लालचंद रतनलाल सुराना परिवार की ओर से पूजा का आयोजन किया गया। महोत्सव का समापन 8 अगस्त को होगा।
इंसान को भगवान बनने का रास्ता दिखाता है ज्ञान –
राष्ट्रसन्तश्री ने शनिवार को जयन्तसेन धाम में आयोजित धर्मसभा में कहा कि ज्ञान आदमी की पहचान कराता है। उसे सही मार्ग पर चलने की दिशा का बोध कराता है। मोक्ष की प्राप्ति के लिए ज्ञान के साथ क्रिया भी जरुरी होती है। क्रिया और ज्ञान मिलने पर आत्मा उच्चता की ओर अग्रसर होती है। ज्ञान प्राप्ति के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए क्योंकि ज्ञान ही इंसान को भगवान बनने का रास्ता दिखाता है। उन्होंने कहा ज्ञान व्यक्ति को अहंमुक्त और आत्मोभाव से युक्त बना देता है। मनुष्य के जीवन में जब ज्ञान परिपूर्ण हो जाता है तो वह स्वयं को देखने, जानने और पहचानने का निर्णय कर लेता है। विक्रम चरिर्त का वाचन करते हुए राष्ट्रसन्तश्री ने कहा कि महान व्यक्ति कभी अपना परिचय नहीं बताते हैं। उनके कर्म ही उनका परिचय बन जाते हैं। संसार के लोग सीधा नहीं उल्टा सोचते हैं। उम्र भी बढ़ती है, वे सोचते हैं कि बड़े हो रहे हैं जबकि असल में वे छोटे होते हैं। उम्र यदि ऐसे ही घटती है तो एक दिन वह भी आता है जब उम्र खत्म हो जाती है। वर्षगांठ मनाते-मनाते वर्ष जब घटते जाते हैं तो एक दिन गांठ खुलने का समय आ जाएगा।
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने उत्तराध्ययन सूत्र का वाचन करते हुए विनयवान शिष्य के लक्षणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि गुरु के पास कभी भी मैं सब जानता हूं, यह अहम् लेकर नहीं जाना चाहिए। उनके पास अज्ञानी होकर समर्पित होने वाले को मोक्ष का मार्ग मिलता है। पानी में कितना भी कचरा हो, यदि फिटकरी घुमा दो तो कचरा बैठ जाता है और शुद्ध जल ऊपर आ जाता है। परमात्मा की वाणी भी ऐसी ही है जो हमारे द्वेष, दुर्गुण और दुर्भावों का कचरा साफ कर चित्त की निर्मलता को प्रकट कर देती है । धर्मसभा में चातुर्मास आयोजक व विधायक चेतन्य काश्यप परिवार की ओर से मातुश्री तेजकुंवरबाई काश्यप, श्रीमती नीता काश्यप, श्रीमती अमि काश्यप ने तपस्वी बहन सुभद्रा खाबिया का बहुमान किया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ म.प्र. के ऊर्जा मंत्री पारसचंद जैन परिवार ने लिया। ऊर्जा मंत्री ने सपरिवार उपस्थित होकर राष्ट्रसन्तश्री से आशीर्वाद लिया। इस मौके पर श्री राजेन्द्रसूरि कीर्ति मंदिर ट्रस्ट भरतपुर के अध्यक्ष बाबूलाल संघवी व ट्रस्टियों, डीसा गुजरात संघ के नवीन भाई खाडिया, जयन्तसेन शासन प्रभावक ट्रस्ट पेपराल के ट्रस्टी हीराभाई, अहमदाबाद कपड़ा एसोसिएशन के अध्यक्ष कांतिभाई संघवी, नरपत भाई बदलिया तथा श्री मोहनखेड़ा ट्रस्ट पेढ़ी के सचिव फतेहलाल कोठारी ने आचार्यश्री के दर्शन-वन्दन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।