ओलावृष्टि को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए
भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति में प्रस्ताव पारित
नई दिल्ली,9 अप्रैल(इ खबरटुडे)। देश के विभिन्न प्रान्तों में बेमौसम हुई अतिवृष्टि और ओलावृष्टि को राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाना चाहिए। यह प्रस्ताव भारतीय किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति में पारित किया गया। भाकिसं की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में किसानों को तत्काल राहत राशि देने और राहत राशि के परिमाप को बदलने की भी मांग की गई है।
भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री प्रभाकर केलकर ने बताया कि किसान संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि विभिन्न विशेषज्ञों के अनुमानों के मुताबिक देश के कुल 6 सौ लाख हैक्टेयर खेतों में से करीब 113 लाख हैक्टेयर की जमीन पर बोई गई रबी की फसलें मौसम की इस मार से बर्बाद हो चुकी है। अनुमानों के मुताबिक गेंहू और आलू की फसलों की बर्बादी का आंकडा 32 हजार करोड और दलहन तिलहन,मकई,फल-फूल आदि में 40 हजार करोड का नुकसान हुआ है।
इतनी विषम परिस्थिति में भारतीय किसान संघ ने देशभर में फैली अपनी 70 हजार से अधिक ग्रामीण समितियों से जुडें लाखों कार्यकर्ताओं से आव्हान किया गया है कि वे एकजुट होकर धैर्य के साथ इस कठिन परिस्थिति का सामना करे और इस प्राकृति आपदा से पीडीत किसानों को उनका हक दिलाने के लिए साहस के साथ कार्य में जुट जाएं।
प्रस्ताव के माध्यम से भारतीय किसान संघ ने मांग की है कि ऐसी समस्याओं का स्थाई हल निकालने के लिए किसानों और फसलों की सुरक्षा के लिए अलग से प्राकृतिक आपदा कोष बनाया जाना चाहिए। किसान संघ ने इस राष्ट्रीय आपदा के समय पीडीत किसानों को तत्काल कुछ राहत राशि देने की मांग की है। राहत का शेष भाग नुकसान के आकलन के बाद दे दिया जाए। इसके साथ ही अनाज खरीदी मापदण्डों को न्यूनतम करने एवं किसानों द्वारा बिक्री के लिए लाए गए अनाज को खरीदने की निश्चित व्यवस्था की जाए। इस राष्ट्रीय आपदा के चलते किसाने के सकल कर्ज को इस वर्ष के लिए ब्याजमुक्त करने की मांग भी किसान संघ ने की है।
किसान संघ के राष्र्टीय महामंत्री प्रभाकर केलकर ने बताया कि किसान संघ ने पहली बार सरकार के समक्ष कुछ नए सुझाव भी रखे है। किसान संघ की मांग है कि कृषि के लिए पृथक से राष्ट्रीय कृषि आपदा राहत कोष की स्थापना करने के साथ ही नुकसान के आकलन और राहत का पूरा ब्यौरा सार्वजनिक किया जाना चाहिए। इसके साथ ही इस प्रकार की आपदा आते ही प्रभावितोंकी मदद के लिए तत्काल हेल्पलाइन स्थापित की जाना चाहिए। किसान संघ ने अपने प्रस्ताव में केन्द्र व राज्य सरकारों से विनती की है कि वे इस संवेदनशील समय में किसानों के धैर्य की परीक्षा ना लें,बल्कि उदारता का परिचय दें।