स्कूलों में मध्यान्ह भोजन को तरस रहे ग्रामीण बच्चे
बच्चों की शिकायत के बावजूद प्रशासन ने नहीं की कार्रवाई
रतलाम,8 सितम्बर(इ खबरटुडे)। स्कूली बच्चों को स्कूल में ही पौष्टिक और रुचिकर भोजन उपलब्ध कराने की शासन की महत्वाकांक्षी योजना जिम्मेदारों में फैले भ्रष्टाचार की भेंट चढती जा रही है। भ्रष्ट अधिकारी और ठेकेदार नन्हे बच्चों के मुंह का निवाला छीनने में भी कसर नहीं छोड रहे। ग्रामीणक्षेत्रों में स्थिति और भी बदतर है। अच्छा भोजन नहीं मिलने की पुख्ता शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई करने को राजी नहीं है।
घटिया क्वालिटी का मध्यान्ह भोजन और वह भी कम दिए जाने की शिकायत यूं तो सभी स्थानों पर है,लेकिन सबसे ताजा उदाहरण ग्राम हरथली का है। ग्राम हरथली के शासकीय प्राथमिक विद्यालय के तमाम बच्चों के साथ साथ उनके पालकों ने भी विभिन्न स्तरों पर अपनी शिकायत दर्ज कराई। हरथली के बच्चों को बेहद घटिया क्वालिटी की रोटी और दाल दी जा रही है। दाल में पानी के अलावा कुछ और नहीं होता। रोटी भी नाम की रोटी होती है। बच्चों को गिनकर दो रोटी दी जाती है और यदि किसी नन्हे बच्चे ने गलती से और रोटी मांग ली तो उसे बुरी तरह दुत्कारा जाता है। इन बच्चों को प्रतिदिन सिर्फ दाल ही दी जा रही है। सब्जी इन्हे कभी नहीं खिलाई जाती। नतीजा यह है कि स्कूल के आधे बच्चे ही इस भोजन का उपयोग करते है।
उल्लेखनीय है कि मध्यान्ह भोजन बनाने की जिम्मेदारी स्व सहायता समूहों को दी जाती है। हरथली में मध्यान्ह भोजन बनाने का ठेका जिस समूह को दिया गया है,वह वास्तव में स्व सहायता समूह है ही नहीं। ग्रामीण जनों ने अपनी शिकायत में बताया है कि एक ही परिवार की महिलाओं के नाम से यह समूह बनाया गया है। इसी समूह के पास स्कूल के साथ साथ महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा संचालित आंगनवाडी और माध्यमिक विद्यालय में भोजन बनाने का भी ठेका है। सभी स्थानों पर भोजन की गुणवत्ता और मात्रा की यही स्थिति है।
उपर तक पकड
स्व सहायता समूह चलाने वाले व्यक्ति की पकड उपर तक है। बच्चों के मुंह से निवाला छीन कर होने वाली कमाई की हिस्सेदारी उपर तक है। इसका परिणाम यह है कि बच्चों और ग्रामीणजनों की शिकायतों पर कोई सुनवाई ही नहीं होती। नन्हे बच्चों ने पहले इसकी शिकायत महिला बाल विकास और शिक्षा विभाग के अधिकारियों को की। इस शिकायत का परिणाम यह हुआ कि शिकायत की प्रति स्व सहायता समूह चलाने वाले तक पंहुच गई और सजा के तौर पर बच्चों को दिया जाने वाला मध्यान्ह भोजन और भी कम कर दिया गया। शिकायत करने वालों को कहा गया कि वे चाहे जहां शिकायत कर दें उनका कुछ नहीं बिगडेगा। बाद में बच्चों ने बडी उम्मीद के साथ मामले की लिखित शिकायत सीधे कलेक्टर को की। लेकिन यहां भी नतीजा ढाक के तीन पात ही निकला। बच्चों को उम्मीद थी कि जिला प्रशासन के मुखिया के पास उन्हे न्याय मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उलटे ठेकेदार ने फिर बच्चों को धमकाया। हरथली के बच्चों और ग्रामीणों ने अब आनलाईन शिकायत के माध्यम से सीधे मुख्यमंत्री को गुहार लगाई है। उन्हे उम्मीद है कि कम से कम भोपाल में बैठे लोग तो बच्चों के मुंह का निवाला छीनने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।