December 27, 2024

शहाबुद्दीन के साथ दिखने वाले गिरिधारी को जेडीयू ने भेजा कारण बताओ नोटिस

पटना,12 सितंबर (इ खबरटुडे)। आरजेडी नेता शहाबुद्दीन के जेल से रिहा होते ही उन्हें लेने पहुंचे आरजेडी विधायक गिरिधारी यादव मुसीबत में फंस गए हैं। पार्टी ने उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है। पार्टी प्रवक्ता संजय कुमार सिंह ने प्रेसवार्ता कर गिरिधारी को चेतावनी देते हुए कहा था कि पार्टी शहाबुद्दीन के साथ उनकी मौजूदगी को लेकर कार्रवाई पर विचार कर रही है। बता दें कि गिरिधारी बांका जिले के बेलहर से विधायक हैं। उनका शहाबुद्दीन से पुराना रिश्ता बताया जाता है।

ये पूछा कारण बताओ नोटिस में

जेडीयू विधायक गिरिधारी यादव को सर्व किए गए कारण बताओ नोटिस में पूछा गया है कि शहाबुद्दीन की रिहाई के समय आप वहां कैसे पहुंच गए। यह भी पूछा गया कि जब शहाबुद्दीन सीएम नीतीश कुमार की आलोचना कर रहे थे तब आप ने जवाब देने के बजाय चुप्पी क्यों साध ली।

बाहर निकलते ही कहा लालू मेरे नेता, नीतीश पर साधा निशाना

भागलपुर जेल से बाहर आते ही मोहम्मद शहाबुद्दीन ने कहा कि लाल यादव मेरे नेता हैं और नीतीश कुमार परिस्थितिजन्य मुख्यमंत्री हैं। इसके बाद शहाबुद्दीन ने भी नीतीश पर जुबानी हमला करते हुए कहा कि नीतीश जननेता नहीं हैं। इस अप्रत्याशित विरोध में शहाबुद्दीन को आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह का भी साथ मिल गया है। रघुवंश ने दावा किया है कि वह नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाए जाने के खिलाफ थे। इसके पहले, नीतीश कुमार ने पार्टी के सीनियर नेताओं की मीटिंग बुलाई। इसमें प्रदेश चीफ वशिष्ठ नारायण सिंह, मंत्री ललन सिंह और विजेंद्र यादव मौजूद थे।
तेजाब से नहलाकर की चश्मदीद की हत्या

शहाबुद्दीन दो भाइयों की तेजाब से नहलाकर हत्या करने और बाद में हत्याकांड के इकलौते गवाह उनके तीसरे भाई राजीव रौशन की हत्या के मामले में भागलपुर जेल में बंद था। दोहरे हत्याकांड में उसे हाईकोर्ट से फरवरी में ही जमानत मिल चुकी थी। चश्मदीद गवाह की हत्या के मामले में भी अदालत ने उसकी जमानत मंजूर कर ली।

ऐसे बना बाहुबली

शहाबुद्दीन के अपराध की कहानी 15 मार्च 2001 को लालू की पार्टी के एक नेता को गिरफ्तार करने आए पुलिस ऑफिसर संजीव कुमार को थप्पड़ मारने से शुरू हुई थी। इस घटना के बाद शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच काफी लंबी झड़प हुई। थप्पड़ मारने वाले शहाबुद्दीन के घर पुलिस ने छापेमारी की। इस दौरान शहाबुद्दीन के समर्थकों और पुलिस के बीच गई घंटों तक गोलीबारी हुई। इस घटना में 10 लोग मारे गए और पुलिस को खाली हाथ लौटना पड़ा। तभी से वह एक बाहुबली के रूप में पहचाना जाने लगा।

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