पत्रकारिता सम्माननीय किन्तु संकटपूर्ण कार्य
(विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 3 मई पर विशेष)
-डॉ.डीएन पचौरी
पत्रकारिता का कार्य बाहर से देखने पर जितना गरिमापूर्ण और सम्माननीय दिखाई देता है उतना ही जोखिमपूर्ण कार्य है। आईएनएसआई ( इन्टरनेशनल न्यूज सेफ्टी इंस्टीट्यूट) की 2013 की रिपोर्ट के अनुसार,विश्व भर में 134 पत्रकारों की हत्या की गई। जिनमें 70 हत्याएं तो केवल 2013 के पहले छ: माह में ही हो गई थी। 65 मौतें सीरीया तथा इराक के युध्द समाचारों के कवरेज के कारण जबकि 51 तस्करी और अन्य आपराधिक कृत्यों की सूचना देने पर की गई तथा 12 हत्याएं अन्य कारणों से हुई। विश्व भर में गत वर्ष भारत को विश्व का दूसरा खतरनाक देश माना गया था।
2010 में विश्व के पांच खतरनाक देश जहां अधिक से अधिक पत्रकारों की हत्याएं हुई,सीरीया,इराक,फिलीपिन्स,भारत और पाकिस्तान को माना गया था। भारत में उस समय 13, पाकिस्तान में 9 और फिलीपिन्स में 14 पत्रकारों की हत्याएं हुई थी और इसी क्रम में भारत वर्ष 2013 में दूसरे स्थान पर आ गया था। 2012 में विश्व भर में 152 पत्रकारों की हत्याएं हुई थी। नि आंकडों से स्पष्ट है कि किस प्रकार मादक पदार्र्थों की तस्करी करने वाले तथा अन्य आपराधिक कृत्यों में लिप्त अपराधी किस प्रकार पत्रकारों को अपना निशाना बनाते हैं। इसी प्रकार एक कोलम्बियाई पत्रकार की हत्या 17 दिसम्बर 1986 को बबोटा में एक समाचार पत्र के कार्यालय के सम्मुख हुई थी। पत्रकार थे गुलीर्मो कानो,जो कोलम्बिया के शक्तिशाली डॉन की मादक पदार्थों की तस्करी का भण्डाफोड कर रहे थे। 1991 में अफ्रीका के नामीबीया में अफ्रीकी समाचार पत्रों की स्वतंत्रता के लिए एक बिन्धोक उद्घोषणा की गई थी,जिसका उद्देश्य समाचार पत्रों की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करना था। चूंकि बिन्धोक उद्घोषणा 3 मई 1991 को हुई थी,इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ के यूनेस्को ने 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया।
विश्व भर में स्वतंत्र मीडीया के महत्व और पहचान के लिए तथा उन पत्रकारों को श्रध्दांजलि देने के लिए,जिन्होने पत्रकारिता की खातिर अने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया। ये दिन प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाया जाने लगा है।
गुलीर्मो कानो के सम्मान में इस दिन एक विशेष पुरस्कार दिया जाता है। यह पुरस्कार उस व्यक्ति अथवा संस्था को दिया जाता है,जिसने विश्व में अत्यन्त खतरनाक परिस्थिति में दुस्साहस पूर्ण कृत्य करते हुए निष्पक्ष रुप से समाचारों को प्रेषित किया हो। पुरस्कार का निर्णय 14 सदस्यों की एक समिति करती है। सदस्यों के नाम यूनेस्को द्वारा पत्रकारिता जगत में कार्यरत प्रसिध्द व्यक्तियों में से चुने जाते हैं।
वर्ष 2014 में बिन्धोक उद्घोषणा का 24 वां वर्ष है। अत: इस दिन विकास में मीडीया का योगदान,पत्रकारों की सुरक्षा तथा पत्रकारिता की स्थिरता एवं अखण्डता पर विशेष ध्यान दिया जाएग। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव बेन किम मून तथा यूनेस्को के महानिदेशक एरीना बोकावा के अनुसार तीन मई पर कोई शासकीय अथवा अशासकीय अवकाश घोषित नहीं किया जाकर ये प्रेस की स्वतंत्रता के प्रदर्शन का दिनहै। यह स्मरण दिलाता है कि विश्व में नागरिकों को निष्पक्ष,समाचलोचानत्मक सूचनाएं पंहुचनी चाहिए। संयुक्त राष्ट्र संघ के 1948 के अन्तर्राष्ट्रिय मानवाधिकार एक्ट की धारा 19 के आधार पर ही इस दिवस को घोषितकिया गया है। भारत के संविधान के मौलिक अधिकारों की अनुच्छेद 19 की धारा 1 व 2 के अनुसार,भारत के प्रत्येक नागरिक और प्रेस को स्वतंत्र विचारों तथा निष्पक्ष वक्तव्य देने की स्वतंत्रता है।
इस प्रकार तीन मई को प्रेस, स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर जिन मुख्य बिन्दुओं को स्मरण किया जाना चाहिए। वे निम्रानुसार है-
1. प्रेस की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए इस दिवस का आयोजन
2.इस दिवस को मनाकर विश्व में प्रेस की स्वतंत्रता प्रसारण ।
3. पत्रकारों पर होनेवाले हमलों से उनकी रक्षा करना।
4.जिन पत्रकारों ने अपने प्राणों की आहूति दी है उन्हे श्रध्दांजलि देना।
5.पब्लिक तक सही,सटीक व निष्पक्ष समाचार पंहुचाना,लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए आक्सिजन का काम करता है।