तीस लाख वनवासी बच्चों को शिक्षा दे चुका है एकल विद्यालय
एकल विद्यालय संगठन की प्रो.मंजू श्री ने प्रेस वार्ता में कहा
रतलाम,21 जुलाई (इ खबर टुडे)। एकल विद्यालय अभियान के महिला विभाग की राष्ट्रीय संगठन प्रभारी प्रो.मंजू श्री ने आज यहां कहा कि सेवा भारती और वन बंधु परिषद द्वारा चलाए जा रहे एकल विद्यालय अभियान के माध्यम से देश के वनवासी अंचलों में तीस लाख बच्चों को शिक्षा दी जा चुकी है। यह अभियान सतत जारी है और इसमें नए आयाम भी जोडे जा रहे है।
प्रो.मंजूश्री स्थानीय राजपूत बोर्डिंग हाउस में पत्रकारों से चर्चा कर रही थी। राजपूत बोर्डिंग हाउस पर महिला विभाग का दो दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग मंथन आयोजित किया जा रहा है। प्रो.मंजू श्री इस प्रशिक्षण वर्ग में भाग लेेने यहां आई है। प्रेस वार्ता के दौरान उन्होने एकल विद्यालय अभियान की विस्तार से जानकारी दी।
प्रो.मंजू श्री ने कहा कि एकल विद्यालय अभियान की शुरुआत पच्चीस वर्ष पूर्व झारखण्ड के धनबाद जिले के सुदूर वनवासी अंचल रतनगढ टुण्डी से की गई थी। प्रारंभ में इस वनवासी अंचल के साठ गांवों में एकल विद्यालय प्रारंभ किए गए। जिस समय इस अभियान की शुरुआत हुई थी,तब तक सर्व शिक्षा अभियान जैसी शासकीय योजनाएं भी नहीं थी और दूरस्थ गांवों में आंगनवाडी जैसी सुविधाएं भी नहीं थी। एकल विद्यालय अभियान ने बीहड जंगलों के बीच बसे वनवासी गांवों तक पंहुच कर वनवासी बच्चों को शिक्षित करने का बीडा उठाया था। इसके लिए गांव के ही किसी शिक्षित युवक को चुन कर उसे निरन्तर प्रशिक्षण दिया जाता है और फिर वही युवक अन्य बच्चों के लिए शिक्षक का कार्य करता है। चूंकि गांव का बच्चा शिक्षक का कार्य करता है इसलिए उसका बच्चों व अन्य लोगों से सीधा जुडाव होता है और इसलिए वनवासी बच्चे भी शाला में आने से हिचकते नहीं है।
प्रो. मंजू श्री ने बताया कि एकल विद्यालय अभियान में जुटे सेवाव्रती कार्यकर्ताओं की बदौलत आज लद्दाख से लेकर सुदूर उत्तर पूर्व और पूरे देश के वनवासी अंचलों में 52 हजार गांवों में एकल विद्यालय संचालित हो रहे है। इस अभियान में छ हजार जीवनव्रती कार्यकर्ता जुटे हुए है। वर्तमान में इन एकल विद्यालयों के माध्यम से 15 लाख से अधिक वनवासी बच्चों को शिक्षण दिया जा रहा है। जबकि इस व्यवस्था से अब तक पन्द्रह लाख बच्चे पढ कर निकल चुके है । इस तरह तीस लाख वनवासी बच्चों को एकल विद्यालयों द्वारा शिक्षा दी गई है। प्रो.मंजू ने बताया कि शिक्षा के साथ साथ अब एकल विद्यालय अभियान में नए आयाम जोडे जा रहे है। शिक्षा के साथ साथ ग्राम विकास,जैविक खेती,स्वास्थ्य शिक्षा आदि मुद्दों पर भी ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में संचालित एकल विद्यालयों की जानकारी देते हुए उन्होने बताया कि मध्यप्रदेश में पांच हजार एकल विद्यालय चलाए जा रहे है। इन विद्यालयों में 87 हजार बच्चे शिक्षा प्राप्त कर रहे है। मध्यप्रदेश के एकल विद्यालयों द्वारा पर्यावरण संरक्षण पर ध्यान दिया गया,प्रदेश में पांच लाख पौधे भी रोपे गए है।
आगामी योजना पर चर्चा करते हुए उन्होने बताया कि एकल विद्यालय अभियान को वर्ष 2015 तक देश के एक लाख गांवों तक पंहुचाने का लक्ष्य रखा गया है। एक लाख गांवों तक एकल विद्यालय पंहुचने पर इन गांवों से जुडे 4 लाख गांवों तक अभियान का सम्पर्क होगा।
प्रेस वार्ता में उपस्थित रतलाम के संरक्षक शरद फाटक ने जिले में चल रही संस्थाओं की जानकारी देते हुए बताया कि जिले में 1995 से एकल विद्यालय अभियान प्रारंभ हुआ। वर्तमान में जिले में 320 एकल विद्यालय संचालित किए जा रहे है और इन विद्यालयों में 12 हजार बच्चे शिक्षा ले रहे है। जिले में 18 जीवनव्रती कार्यकर्ता काम कर रहे है। जैविक खेती के लिए 40 गांवों में केन्द्र बनाए गए है और कुल 200 गांवों में जैविक खेती के लिए प्रयास किए जा रहे है।