देश का गौरव मध्यप्रदेश
महाकाल की महिमा पावन
उायिनी शिप्रा मनभावन
कालिदास का कविता-कानन
सांदीपनि का शिक्षण- आसन
कृष्ण की कथा कहे परिवेश
देश का गौरव मध्यप्रदेश।
नदी नर्मदा,शिवना, चंबल
परशुराम का परशु, कमंडल
शुभ्र सतपुड़ा के सब जंगल
हरियाली ज्यों मॉ का ऑचल
विंध्याचल यानी उन्मेष,
देश का गौरव मध्यप्रदेश।
है भोपाल, ताल की बस्ती
जहॉ समन्वय-छटा विहंसती
नगर अहिल्या की भी हस्ती
तानसेन की अपनी मस्ती,
सरलता वनवासी- संदेश,
देश का गौरव मध्यप्रदेश
(नईदुनिया इन्दौर -सोमवार 1 नवंबर 2010)
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घर-आंगन में दीप जलाकर ,रचती है रांगोली बिटिया। |
शुभ-मंगल की 'मौली' बिटिया, ईद, दीवाली , क्रिसमस जैसी, सखी सहेली से घुल-मिलकर, घर - आंगन में दीप जलाकर, मन ही मन बांते करती है, 'नहीं भ्रूण-हत्या हो मेरी' (पत्रिका 25-3-2011) |
गायब है गोरैया |
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चेतन-चिंतन 'चह-चह' का लेकर आती थी, गायब है गोरैया, खोजें, फिर घर लाएं । गोरैया की चह-चह में मोहक गीत छिपा, गोरैया के प्रति प्रेम-समपर्ण दिखलाएं । गोरैया है चिड़िया, किंतु संदेश भी है, घर आने का उसको न्यौता देकर आएं। |
नदी - जंगल बचे रहेंगे तो....... |
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न तो काटें, न कटने दें जंगल, जंगलो का हरा - भरा रहना, वन की 'हरियाली' से ही तो नदियां नदी - जंगल बचे रहेगे तो (1-7-2011 सा.पत्रिका शुक्रवार) |
नये वर्ष की नई सुबह | |
जीभ, मधुर फुलवारी रख । नये वर्ष की नई सुबह सुख का साधक बन लेकिन मातृ -भूमि के चरणों में वन है धरती की गर्दन मिट्टी, पंछी, नदी बचा (कादम्बिनी जनवरी 2011) |
बाप | |
पर्वत - शिखर - सा बाप , है सिंधु सा गहन भी, परिवार के हित के लिए पीड़ा की पोटली, तूफान तनावों के मुस्कुराके झेलता, यूं तो चलन समाज का माना है बाप ने, हो सकता है अपवाद कहीं बाप , परंतु, बच्चों के लिए आहुति देता है स्वयं की, ( फादर्स डे जून 2009 ) |
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